केंद्र सरकार दावा कर रही है वैश्विक आर्थिक मंदी का असर भारत पर नहीं पड़ा है। वहीं ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम’ के मंच से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए निराशाज़नक ख़बर आई है।
भारत दुनिया के आर्थिक देशों के लिए एक बड़ा बाज़ार है, जहां निवेश की अपार संभावनाएं हैं। इससे बावजूद दुनिया के निवेशक भारत में इन्वेस्ट करने में रूचि नहीं दिखा रहे हैं। दरअसल स्विट्जरलैंड के दावोस वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की एनुअल मीट में कंसल्टेंसी फर्म PwC ने पांच टॉप देशों की लिस्ट जारी की है जो निवेश के दृष्टिकोण से सबसे बेहतर जगह हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रोथ के नज़रिए से देखें तो दो बाजार सबसे ऊपर बताए गए हैं। पहले पायदान पर अमेरिका और दूसरा पायदान पर चीन। भारत इनवेस्टर्स च्वाइस लिस्ट में टॉप 5 से बाहर हो गया है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
अमेरिका को 43% लोगों ने निवेश के लिए बेहतर जगह बताया।
33 फीसदी लोगों ने चीन को निवेश के लिए अच्छा देश बताया।
जर्मनी को 17 फीसदी और ब्रिटेन को 15 लोगों ने निवेश के लिए अनुकूल जगह बताया।
8 फीसदी लोगों ने जापान को निवेश के लिए पसंद किया।
वहीं भारत को सिर्फ 7 फीसदी वोट ही मिले।
गौरतलब है कि 2016 में भारत टॉप 5 देशों में शामिल था। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में निवेश को लेकर दुनियाभर के सीईओ ने उदासीनता दिखाई है। हालांकि भारतीय सीईओ का नज़रिया बाहरी सीईओ से अलग है। देश के करीब 71 फीसदी सीईओ को भरोसा है कि सालभर के भीतर स्थिति सुधरेगी और कंपनियों का मुनाफ़ा भी बढ़ेगा।
दुनियाभर की दिग्गज कॉरपोरेट हस्तियां ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम’ में शिरकत कर रहे हैं। एनुअल मीट में भारत की नोटबंदी से लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का मुद्दा भी छाए रहने की उम्मीद है।
भारत की वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी बैठक में शिरकत कर रहे हैं। साथ ही नीति आयोग के सीईओ, इंफोसिस सीईओ और राहुल बजाज, जेएसपीएल के चेयरमेन नवीन जिन्दल सहित देश के 90 कॉरपोरेट्स सम्मेलन में शामिल हो रहे हैं।
भारत के लिए दावोस वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम काफी अहम माना जा रहा है। अगर भारत विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने में सफल होता है तो इससे देश की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
No comments:
Post a Comment